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नगर पालिका अधिकारियों से मिलकर ठेकेदार ने कराया 4 करोड़ का टेंडर मंजूर बजट को ठिकाने लगाने के लिए, प्रशासन ने किये 4 करोड रुपये मंजूद

शनिवार, 13 अप्रैल 2024

 बजट को ठिकाने लगाने के लिए, प्रशासन ने किये 4 करोड रुपये मंजूद

शिवपुरी पोहरी बसस्टेाण्डा के पीछे मौजूद तलैया को अब बच्चो के लिए बोटिग क्ल व बनाया जा रहा है जिसके लिए नगर पालिका ने 4 करोड रुपए मंजूर किये है बताया जा रहा है कि जिस ठेकेदार को यह काम मिला है वह नगर पालिका के अधिकारियो का करीबी ठेकेदार है ठेकेदार ने तलैया में काम शुरु कर दिया है खास बात यह है कि इस तलैया में नाके बराबर पैसे खर्च होना है लेकिन ठेकेदार ने नगर पालिका के अधिकारियो से मिलकर इस तलैया लिए 4 करोड रुपए मंजूर करा लिया है पिछले वर्ष गर्मियों की बात करे तो इस तलैया की पार पर नगर पालिका के ध्दाररा ही कचरे को फैंका गया था जिससे उसका ढेर तलैया की पार पर ही जमा हो गया लेकिन अब ठेकेदार ने ना तो उस ढेर को साफ किया और न ही उसे दूसरे स्थारन पर सिप्टा किया, बलकि पार के उपर से ही कचरे के ढेर को लाल मुरम से दबा दिया गया, इस तालाब में कितना और कौन कौन सा काम होना है इसके लिए जब नगर पालिका के एई संचिन सिह चौहान से बात की तो उन्हो्ने गोल मोल जबाव दिये कहा की अगर निर्माण कार्य की जानकारी चाहिये तो आरटीआई से प्राप्तच करे सीधे शब्दोो में कहे तो तलैया कि पार बनाने के लिए ठेकेदार ने प्रशासन से 4 करोड रुपए मंजूर करा लिया है


शिवपुरी में एक समय हुआ करता जब शिवपुरी में 18 तालाब हुआ करते थे लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे शिवपुरी में भू माफियाओं ने तलाबो पर अवैध कब्जा करना शुरू किया और अब समय ऐसा आया है कि शिवपुरी में 18 तलाबो में से अब लगभग 5 तालाब ही शेष बचे है भू माफियाओं ने तालाबों की जमीन पर कब्जा कर उसे खेती करने योग्य  बना लिया है साथ समय के साथ सरकारी कागजों में भी हेरा फैरी करवा ली है जिससे अब शिवपुरी में तलाबो का अस्तित्व  खत्म होता जा रहा है
मनियर के इस तालाब की नही ले रहा कोई जिम्मेदारी
शहर का मनियर तालाब ऐसा है, जिसे कोई अपना नहीं मान रहा था। एक बार विधायक निधि से मिली राशि से जल संसाधन विभाग ने तालाब की पिचिंग का काम किया था, उसके बाद से नगरपालिका ने भी इसे अपना कहने से मना कर दिया था। राशि आते ही नपा का हो गया तालाब, नगरपालिका के पूर्व सीएमओ ने मनियर तालाब को अपना कभी नहीं कहा था। शासन ने जब तालाब संरक्षण के लिए 4 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की, तो नपा के जिम्मेदारों ने उक्त राशि को लेने के लिए मनियर तालाब को अपना मान लिया। उधर जल संसाधन विभाग का कहना था कि तालाब की पिचिंग आदि कार्य के लिए हम तो निर्माण एजेंसी थे, जबकि यह तालाब हमारा नहीं है। जब इस तालाब का कोई धनीधोरी नहीं बचा तो उसके पास मौजूद भूमि मालिकों ने अपने खेतों का दायरा तालाब में बढ़ा दिया और अब सिर्फ तालाब की पार का थोड़ा सा किनारा छोड़कर शेष पर खेती हो रही है। वहीं दूसरे किनारे की तरफ से मकान बनाए जाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। तालाब की आदिवासी बस्ती वाली साइड में तो पूरे किनारे पर मकानों का निर्माण हो गया है।


जल स्त्रोत में मुख्य भूमिका थी मनियर के तालाब की
शिवपुरी शहर में यदि जल संकट प्रभावित क्षेत्रों का नाम लिया जाता था तो सबसे पहले उसमें मनियर, फतेहपुर सहित पोहरी रोड के आसपास का एरिया का ही नाम आता था यह पूरा क्षेत्र जलस्त्रोत था और उस समय पानी उगला करता था उस समय मनियर तालाब में पानी भरा रहता था। अब तालाब के कब्जाधारियों ने तालाब में पानी की निकासी के रास्ते बना दिए, जिसके चलते बरसात खत्म होते ही यहां तालाब सूख जाता है। वर्तमान में भी इस तालाब में बूंद भर पानी नहीं है।

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