ग्राम पंचायत पिपरोदा खुर्द लाखों की स्वीकृति लगातार राशि का अहरण.... सिर्फ निगरानी की आवश्यकता
गुना/ ग्राम पंचायत पिपरोदा खुर्द में पिछले वर्ष लाखों रुपए के निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी गई थी। इन कार्यों की शुरुआत के बाद से ही ग्रामीणों में आशा जागी थी कि उनके गांव का विकास होगा और बुनियादी सुविधाएं बेहतर होंगी। लेकिन वर्तमान में यह कार्य केवल कागजों पर ही सीमित रह गए हैं। जबकि लाखों की राशि का अहरण किया जा चुका है, धरातल पर कोई निर्माण कार्य नहीं दिख रहा है।
ग्राम पंचायत पिपरोदा खुर्द के निवासियों का कहना है कि विभिन्न विकास कार्यों की योजना बनाई गई थी, जिसमें सड़कों, नालियों, विद्यालयों और सामुदायिक भवनों का निर्माण शामिल था। इन कार्यों के लिए आवश्यक फंड भी स्वीकृत हो गए थे, लेकिन कार्य प्रारंभ होने के बाद किसी प्रकार की प्रगति नहीं हो रही है। स्थानीय निवासियों में ऐक अलख जगी थी कि पंचायत में निर्माण कार्य निरंतर चल रहे हैं । जिससे ग्राम एवं ग्रामीण जनों की दिशा में सुधार होगा और विकास की नई इबारत लिखी जाएगी।लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं देता
इस स्थिति ने ग्रामीणों के बीच निराशा और असंतोष पैदा किया है। ग्रामीण जनो, को आशा थी कि सरकार हमारी भलाई के लिए काम करेगी, लेकिन यहां तो सिर्फ फंड का अहरण हुआ है। धरातल पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।” इस तरहा से ग्राम वासियों में निराशा का माहौल वना है।
स्थानीय प्रशासन का ध्यान इस मामले पर नहीं जा रहा है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर ग्राम पंचायत के मुखिया का कहना है कि कुछ तकनीकी कारणों से काम में देरी हो रही है। हालांकि, ग्रामीण इस स्पष्टीकरण को संतोषजनक नहीं मानते। उनका कहना है कि अगर कार्य की निगरानी की जाती, तो ऐसी समस्याएं उत्पन्न नहीं होतीं।
स्थानीय जनता का कहना है कि इस तरह की स्थिति गंभीर है और इसका समाधान करना अति आवश्यक है। वे निवासियों से अपील कर रहे हैं कि वे एकजुट होकर इस मुद्दे को उठाएं और उचित कार्रवाई की मांग करें। इस बीच, पंचायत की जिम्मेदारी बनती है कि वे निर्माण कार्यों की प्रगति की नियमित निगरानी करें और समय-समय पर स्थिति की जानकारी ग्रामीणों को दें।
यह स्थिति केवल पिपरोदा खुर्द की नहीं, बल्कि कई ग्रामीण क्षेत्रों की है, जहां विकास कार्यों की योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं होता। सरकार को चाहिए कि वह इन कार्यों की वास्तविक स्थिति की जांच करे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करे ताकि ग्रामीणों का विश्वास बहाल किया जा सके।
सभी वर्गों को यह समझना होगा कि विकास केवल कागजों पर नहीं, बल्कि वास्तविकता में भी होना चाहिए। यदि इस मुद्दे का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो यह ग्रामीणों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। समय आ गया है कि स्थानीय प्रशासन और पंचायत इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें