भंडारे का बासा खाना खाने से फूड पॉइजनिंग का शिकार हुए लोगो की संख्या 500 पार जिला अस्पताल में भर्ती गंभीर मरीजो की संख्या 136, चार बच्चो की हुई छुटटी
शिवपुरी। जिले के करैरा कस्बे के मामौनीकलां गांव में हनुमान मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के भंडारे का बासा खाना खाने से करीब 500 लोगो की तबियन बिगड़ गई जिसमे से गंभीर मरीजो की संख्या 136 पहुच चुकी है जिन्हे जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है वही 4 बच्चो की छुटटी की गई है जो स्वास्थ्य हो गया है अभी भी स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में मौजूद है।
जानकारी के अनुसार शनिवार को आयोजित भंडारे के बाद रविवार से शुरू हुई बीमारी अब तक 500 से ज्यादा ग्रामीणों को अपनी चपेट में ले चुकी है। रविवार की सुबह से ग्रामीणों को उल्टी-दस्त की शिकायत शुरू हुई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सोमवार को गांव में शिविर लगाया, जहां 300 मरीजों का उपचार किया गया। इनमें से 91 लोगों को करैरा और 24 लोगों को सिरसौद अस्पताल रेफर किया गया। वहीं मंगलवार को स्थिति और बिगड़ गई, अस्पताल से लौटे मरीजों की तबीयत फिर से खराब हो गई और कई नए मामले भी सामने आए। स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को फिर रिव्यू शिविर लगाया, जहां तीन डॉक्टरों और उनकी टीम ने मरीजों का उपचार किया। वहीं देर रात मरीजों को जिला अस्पताल भेजा गया।
खाने में जानबूझकर मिलाया गया केमिकल
गांव की आशाकार्यकर्ता अवधेश जाटव का कहना हैं कि उनके परिवार के बच्चों सहित 10 लोग बीमार हैं। उन्हें उल्टी दस्त से आराम नहीं मिल रहा हैं। उनका कहना हैं कि अगर खराब खाने से तबीयत बिगड़ी होती तो ग्रामीणों को अब तक आराम मिल गया होता। लेकिन खाने में कोई केमिकल मिलाया गया हैं। जिसकी वजह से ग्रामीणों को आराम नहीं मिल पा रहा हैं।
तीन दिन तक रहता है फूड पॉइजनिंग का असर
जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी संजय ऋषेश्वर ने बताया कि मंगलवार की शाम वह से देर रात गांव में रुके थे। यहां ग्रामीणों की तबीयत बिगड़ रही थी। फूड पॉइजनिंग का अटैक तीन दिन तक आ सकता है। जिन मरीजों को इलाज के लिए करैरा और सिरसौद में भर्ती करवाया गया था वो ग्रामीण जल्द छुट्टी करा आ गए थे। इनमें से कुछ लोगों की तबीयत फिर से बिगड़ गई है, जबकि कुछ नए लोगों को फूड पॉइजनिंग का अटैक हुआ है। वर्तमान में 12 मरीज करैरा के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती हैं। वहीं मंगलवार की शाम से रात तक 95 मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया गया।
जानकारी के अनुसार शनिवार को आयोजित भंडारे के बाद रविवार से शुरू हुई बीमारी अब तक 500 से ज्यादा ग्रामीणों को अपनी चपेट में ले चुकी है। रविवार की सुबह से ग्रामीणों को उल्टी-दस्त की शिकायत शुरू हुई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सोमवार को गांव में शिविर लगाया, जहां 300 मरीजों का उपचार किया गया। इनमें से 91 लोगों को करैरा और 24 लोगों को सिरसौद अस्पताल रेफर किया गया। वहीं मंगलवार को स्थिति और बिगड़ गई, अस्पताल से लौटे मरीजों की तबीयत फिर से खराब हो गई और कई नए मामले भी सामने आए। स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को फिर रिव्यू शिविर लगाया, जहां तीन डॉक्टरों और उनकी टीम ने मरीजों का उपचार किया। वहीं देर रात मरीजों को जिला अस्पताल भेजा गया।
खाने में जानबूझकर मिलाया गया केमिकल
गांव की आशाकार्यकर्ता अवधेश जाटव का कहना हैं कि उनके परिवार के बच्चों सहित 10 लोग बीमार हैं। उन्हें उल्टी दस्त से आराम नहीं मिल रहा हैं। उनका कहना हैं कि अगर खराब खाने से तबीयत बिगड़ी होती तो ग्रामीणों को अब तक आराम मिल गया होता। लेकिन खाने में कोई केमिकल मिलाया गया हैं। जिसकी वजह से ग्रामीणों को आराम नहीं मिल पा रहा हैं।
तीन दिन तक रहता है फूड पॉइजनिंग का असर
जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी संजय ऋषेश्वर ने बताया कि मंगलवार की शाम वह से देर रात गांव में रुके थे। यहां ग्रामीणों की तबीयत बिगड़ रही थी। फूड पॉइजनिंग का अटैक तीन दिन तक आ सकता है। जिन मरीजों को इलाज के लिए करैरा और सिरसौद में भर्ती करवाया गया था वो ग्रामीण जल्द छुट्टी करा आ गए थे। इनमें से कुछ लोगों की तबीयत फिर से बिगड़ गई है, जबकि कुछ नए लोगों को फूड पॉइजनिंग का अटैक हुआ है। वर्तमान में 12 मरीज करैरा के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती हैं। वहीं मंगलवार की शाम से रात तक 95 मरीजों को जिला अस्पताल रेफर किया गया।
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